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मेरे एक दोस्त ने मुझसे बड़ा ही जटिल सा सवाल पूछा है. जो पढ़ने में तो मुझे बहुत सीधा सा लगा लेकिन जब उस सवाल की गहराई में पहुंची तो वह काफी टेढ़ा सा लगने लगा. खैर जो भी है मेरा काम अपने दोस्तों को सही राय देना है ताकि वह अपनी समस्या को सुलझा पाएं.
सवाल: ‘भावनाएं अपने आप में ही समस्याएं बन जाती है हालांकि उन पर किसी का वश नहीं होता। क्या करे कोई जबकि वह एक ऐसी दुविधा में पड़ जाए जहां पर उसके नियंत्रण में कुछ नहीं हो? आप किसी से जुड़ते हैं और शिद्दत से चाहते हैं कि वह भी आपसे वैसे ही जुड़ जाए लेकिन मुश्किल तो तब होती है जबकि वो ऐसे प्रदर्शित करे कि उसे आपसे कोई जुड़ाव नहीं। कुछ ऐसे ही सवालात हैं जिंदगी के जिनके जवाब जानने जरूरी होते हैं। पर समस्या ये है कि जवाब मिले कैसे – क्या कोई तरीका है आपके पास?
सुझाव: देखिए दोस्त, आपको एक बात जरूर समझनी चाहिए कि आप किसी को खुद को चाहने या पसंद करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. आप किसी को ये नहीं कह सकते कि ‘तुम्हें मुझे चाहना ही होगा’ या ‘तुम्हें मुझसे प्यार करना ही होगा’. इंसानी फितरत ही कुछ ऐसी है कि वह हर पड़ाव पर किसी ना किसी के साथ जुड़ता ही है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है जिसे आप चाहते हैं या आप पसंद करते हैं वह भी आपको बदले में उतना ही पसंद करें. दोस्त, आज के दौर का दस्तूर ही यही है जो आपकी फिक्र नहीं करता, जिसे आपकी भावनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ता आप उसपर अपनी फीलिंग्स जाया ना करें. इसीलिए आपको भी कुछ ऐसा ही करना चाहिए. हां अगर आपको मेरा यह सुझाव थोड़ा ज्यादा ही प्रैक्टिकल लग रहा है तो आप उनपर खुद को पसंद करने का जोर डालने की जगह एक शुभचिंतक की भांति उनके साथ व्यवहार कर सकते हैं.
जिसके लिए आप अपने दिल में भावनाएं छिपाकर रखते हैं उनके साथ आपका बर्ताव थोड़ा बदल जाता है और आप इस बात को समझें या ना समझें लेकिन ऐसा करने से जिसके प्रति आप भावनाएं रखते हैं वह आपसे कटने लगता है. बेहतर यही है कि आप अपनी भावनाओं से ज्यादा खुद पर नियंत्रण रखें और उनके साथ कुछ ऐसा व्यवहार करें जिससे कि उन्हें आपसे बात करना बिल्कुल अजीब ना लगे ताकि आप दोनों के बीच किसी भी प्रकार के मनमुटाव के हालात पैदा ना होने पाएं.
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